झारखंड में ट्रेनों पर ब्रेक: कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन

झारखंड में ट्रेनों पर ब्रेक: कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन

कुड़मी समाज का आंदोलन झारखंड की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है। यह आंदोलन सिर्फ रेल सेवाओं को ही नहीं रोक रहा, बल्कि सरकार को भी यह संदेश दे रहा है कि उनकी मांगें अनदेखी नहीं की जा सकतीं। आने वाले समय में देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे का समाधान संवाद और नीतिगत फैसलों से कैसे निकालती है।

निष्कर्ष

राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तर पर इस आंदोलन पर नज़र रखी जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर बातचीत की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है।

सरकार की प्रतिक्रिया

रेल रोको आंदोलन के चलते हजारों यात्री फंसे रहे। कई ट्रेनों को रास्ते में रोकना पड़ा तो कई को रद्द कर दिया गया। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ीं।

यात्रियों की परेशानी

रेल पटरियों पर बैठकर और ट्रेनों को रोककर कुड़मी समाज ने अपनी आवाज बुलंद की। कई प्रमुख रूटों पर घंटों तक रेल सेवाएं ठप रहीं। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं सुना जाएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

आंदोलन का स्वरूप

कुड़मी समाज की मुख्य मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए। इस मुद्दे को लेकर समाज लंबे समय से संघर्षरत है। उनका कहना है कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से वे आदिवासी समुदाय के ही अंग हैं, इसलिए उन्हें सरकारी मान्यता मिलनी चाहिए। इसके साथ ही, वे अपनी भाषा “कुड़माली” को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग कर रहे हैं।

आंदोलन की वजह

झारखंड में एक बार फिर रेल सेवाओं पर असर पड़ा है। कुड़मी समाज द्वारा अपने लंबे समय से चले आ रहे मांगों के समर्थन में रेल रोको आंदोलन शुरू किया गया। इस आंदोलन के कारण कई ट्रेनें प्रभावित हुईं, जबकि यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

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